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Hindi Poem on Navratri | 5 BEST नवरात्रि पर कविता

Hindi Poem on Navratri

Hindi Poem on Navratri

Hindi Poem on Navratri  माँ नवदुर्गा के नवरात्रि पर्व के महत्व का वर्णन करती हैं। होली की बौछारें थमते ही, आस्था, भक्ति, विश्वास की लहर चल पड़ी।

जी हाँ कल्याणकारी, शुभकारी, शांतिप्रदायिनी माँ नवदुर्गा के नौ रूपों की महिमा को समाहित किए हुए नवरात्रि पर्व का आगमन हो रहा है।

प्रस्तुत पोस्ट के माध्यम से आज हम नवरात्रि के नौ शुभ दिन तथा माँ नवदुर्गा के कल्याणकारी रूपों का महत्व, वरदान तथा कृपा का स्वरचित कविताओं के द्वारा आनंद प्राप्त करेंगे।

नवरात्रि की ये कविताएं अवश्य ही सभी के मन को पवित्रता, आस्था, विश्वास और सुख के भावों से सराबोर कर देंगें। कविता के माध्यम से सभी को नवरात्रि पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं।

सभी का जीवन पावन, सलिल, सरिस, शीतल फुहारों से अभिसिंचित हो। नवरात्रि पर्व नौ दिनों के उत्सव का त्यौहार है। यह अत्यंत शुभ, कल्याणकारी व महत्वपूर्ण समय होता है।

नवरात्रि के नौ दिनों तक माँ दुर्गा की पूजा अर्चना की जाती है। प्रति वर्ष दो बार नवरात्रि पर्व मनाया जाता है। एक चैत्र नवरात्र तथा दूसरा शारदीय नवरात्र।

इस वर्ष 2021 में चैत्र नवरात्रि पर्व 13 अप्रैल से आरंभ होकर 21 अप्रैल को रहेंगे। नवरात्रि की नवमी तिथि को पर्व का समापन होगा।

इन नौ दिनों तक भक्त श्रद्धा पूर्वक उपवास रखकर, कलश स्थापना करके, दीप प्रज्वलित करके माँ आदि शक्ति का पूजन करेंगे।

अब हम कविताओं के सुहावने सफर को प्रारंभ करते हुए माँ दुर्गा से कल्याणकारी वरदान की प्राप्ति की कामना करते हैं।

सर्वप्रथम माँ दुर्गा के श्री चरणों में कुछ काव्य पंक्तियाँ समर्पित करते हुए प्रार्थना करती हूँ कि सभी माँ नवदुर्गा की दया दृष्टि प्राप्त करें और जीवन के समस्त कष्टों से मुक्ति पाए।

No 1
शत शत नमन

तेरे चरणों में हम शत शत नमन करें।

तेरे आलिंगन में सारे दुख दर्द हरे।।

तू ही सुखदात्री तू ही कष्टहारिणी है माँ।

तू ही रक्षाकारिणी तू ही पालनकारिणी है माँ।।

तेरी कृपा से भवसागर में पतवार मिल जाए।

तेरी दया से खोया हुआ घर बार मिल जाए।।

तू ही सृष्टि सवारिणी तू ही भाग्य प्रदायिनी है माँ।

तेरी दृष्टि में सूरज चन्दा कान्ति सजा जाए।।

तेरी भव्यता में सप्तऋषि समस्त समा जाए।

तू ही जगत जननी तू ही ममतामयी हो माँ।।

तेरी गोद में सम्पूर्ण संसार खिल जाए।

तेरे आँचल में स्नेह का सागर सिमट जाए।।

तू ही चक्र संचालिनी तू ही दैत्य संहारिणी है माँ।

तू ही धैर्य प्रदायिनी तू ही काज सवारिणी है माँ।।

हिन्दू धर्म में चैत्र नवरात्रि का विशेष महत्व है। समस्त कामनाओं की पूर्ति, सुख सौभाग्य की प्राप्ति के लिए नवरात्रि में माता के नौ रूपों की आराधना की जाती है। माँ दुर्गा के समस्त रूप वरप्रदायिनी एवं शुभकारी है।

माँ नवदुर्गा के नौ रूपों में प्रथम रूप है शैलपुत्री, दूसरा रूप ब्रम्हचारिणी माँ, तीसरा स्वरूप चंद्रघंटा, चौथा कुष्मांडा, पाँचवा स्कन्दमाता, छठा कात्यायनी, सातवाँ कालरात्री, आंठवां महागौरी तथा नवां सिद्धिदात्री माँ का हैं।

नवरात्रि के पावन नौ दिनों इन्हीं नौ रूपों में अवतरित होकर माँ समस्त सृष्टि वासियों को शुभाशीष प्रदान करती हैं।

बस आवश्यकता है, सच्ची आस्था, भक्ति और पवित्र विचारों को मन में समाहित करके पूजन करने की। तो आइए प्रस्तुत कविता के माध्यम से माँ नवदुर्गा के नौ स्वरूपों के दर्शन करें और वरदानों की प्राप्ति करें–

No 2
नवदुर्गा रूप

नवरात्रि में नवदुर्गा नौ नौ रूप दिखाती हैं।

नौ रूपों की नव महिमा को वाणी कह नहीं पाती है।।

कभी शैलपुत्री रूप में अनेक नामों से जानी जाती है।

कभी भक्तों पर कृपा कर धन धान्यपूर्ण बनाती हैं।।

ब्रम्हचारिणी देवी दूसरे रूप में जो कहलाती है।

तप, त्याग, सदाचार व संयम गुणों को देने आती हैं।।

नौ रूपों की नव महिमा को वाणी कह नहीं पाती है।।

कभी चंद्रघंटा रूप में शक्तिप्रदायक बन आती हैं।

सुख शांति आनंद से जीवन सफल कर जाती हैं।।

कुष्मांडा रूप में चौथे दिन जो पूजी जाती हैं।

सद्बुद्धि, उन्नति, वैभव के सोपान चढाती हैं।।

नौ रूपों की नव महिमा को वाणी कह नहीं पाती है।।

स्कन्दमाता रूप में पाँचवें दिन की शोभा बढ़ाती हैं।

समस्त कामनायें पूर्ण कर मानव जीवन को सवारती हैं।।

कल्याणकारी, मंगलकारी स्वरूप धारण कर आती हैं।

कात्यायनी रूप में आलौकिक तेज जो फैलाती हैं।।

नौ रूपों की नव महिमा को वाणी कह नहीं पाती है।।

शुभदायिनी रूप में कालरात्री सप्तम दिन आती हैं।

समस्त कलुष, क्लेश संकट हरण कर जाती है।।

संतति वरदान प्रदायिनी महागौरी की शुभतिथि आती है।

श्वेत वर्ण व श्वेत वस्त्र से धवल सृष्टि सज जाती है।।

नौ रूपों की नव महिमा को वाणी कह नहीं पाती है।।

नवरात्रि की नवमी तिथि की बेला जो महकाती हैं।

सिद्धिदात्री माँ सर्व सिद्धियाँ निछावर कर जाती हैं।।

श्रद्धा, भक्ति, आस्था से मन में जो सदा बसती हैं।

हर रूप में नव वरदान ले सृष्टि उसमें सवरती है।।

नौ रूपों की नव महिमा को वाणी कह नहीं पाती है।।

नवरात्रि में नवदुर्गा नौ नौ रूप दिखाती हैं।

नौ रूपों की नव महिमा को वाणी कह नहीं पाती है।।

नवरात्रि पर्व न केवल धार्मिक दृष्टि से ही महत्वपूर्ण है बल्कि यह त्यौहार नारी शक्ति का प्रतीक भी है। माँ दुर्गा नारी के शक्ति सम्पन्न स्वरूप को उजागर करती हैं।

जिस दुर्गा की मंदिर में प्रतिमा स्थापित करके हम पूजा करते है वही दुर्गा स्वरुपा नारी वर्तमान समाज में तिरस्कृत तथा अपमानित हो रही है। क्या यह उचित है– विचार कीजिए।

प्रस्तुत कविताओं का संकलन न केवल धार्मिक अनुष्ठान पर बल देता है, अपितु सच्ची भक्ति, पवित्र सोच, निर्मल विचार और नारियों की अस्मिता रक्षा का संदेश भी देता है।

इस सफर की प्रस्तुत कविता मानव मन के समस्त कलुष, क्लेश, भेदभाव तथा कुत्सित सोच को समाप्त करके स्वच्छ, सलिल, सरस, पावन भावनाओं व अनुभूतियों के साथ नवरात्रि पर्व को सम्पन्न करने का संदेश देती है–

Hindi Poem on Navratri
No 3
नवरात्रि पर कविता

नवरात्रि की धूम मच गई।

देवी माँ के द्वार सज गए।।

हर घर कलश स्थापना हो गई।

हर घर शंख नाद ध्वनि गूंजी॥

हर दिन देवी गीत ध्वनित हुए।

हर दिल आस्था विश्वास सजग हुए।।

क्या देवी मंदिर में रहती?

जो समाज में छल बल सहती।

पूजा रह गई आज अधूरी,

माँ ने जब समाज में आंखे खोली।।

कर मन पावन कलुष मिटा,

सच्चे मन से नवरात्रि मना।।  

चैत्र नवरात्रि का यह पर्व चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से प्रारंभ हो जाता है। इस दिन से हिन्दू नव वर्ष का प्रारंभ भी माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार चैत्र शुक्ल की प्रतिपदा तिथि को सृष्टि का आरंभ हुआ था।

नवरात्रि की पावन बेला में माँ दुर्गा विभिन्न रूप धारण करके तथा भिन्न भिन्न सवारियों पर विराजित हो कर अवतरित होती हैं और माहौल को भक्तिमय बना देती हैं।

आइए जाने माँ दुर्गा द्वारा प्रदान किए जाने वाली सौगात–

No 4
नवरूपों की सौगात

सिंह पर सवार होकर, रंगों की फुहार लेकर।

आई माँ दुर्गा नवरूपों की सौगात लेकर।।

भक्ति की भावना भरके, आस्था सहज सजग करके।

पावन संदेश लेकर, नवरात्रि की बहार लेकर।।

सोलह श्रंगार लेकर, खुशियां जीवन में भरके।

आई माँ दुर्गा नवरूपों की सौगात लेकर।।

सुख का वरदान देकर, विश्वास अपार देकर।

स्वादिष्ट प्रसाद बनकर, जीवन में मिठास भरकर।।

अमृत कलश लेकर, दीप चमत्कृत लेकर।

आई माँ दुर्गा नवरूपों की सौगात लेकर।।

भक्तों को आशीष देकर, चहुँ दिश प्रेम भरकर।

कामनायें पूर्ण करके, समस्त सिद्धियों को लेकर।।

मन में विश्वास बनकर, हर कदम पर ढाल बनकर।

आई माँ दुर्गा नवरूपों की सौगात लेकर।।

दुष्टों का संहार करके, शांति का प्रसार करके। 

कष्टों में धैर्य देकर, संयम अथाह देकर।।

 

सागर सम जीवन में प्रेरणा की पतवार देकर।

आई माँ दुर्गा नवरूपों की सौगात लेकर।।

सिंह पर सवार होकर, रंगों की फुहार लेकर।

आई माँ दुर्गा नवरूपों की सौगात लेकर।।

नवरात्रि पर्व की नवमी तिथि का भी अत्यंत महत्व है। इसी तिथि को त्रेतायुग में भगवान श्री रामचंद्र जी का जन्म हुआ था।

नवरात्रि पर्व के पवित्र नौ दिन सभी के मन में आस्था, भक्ति, प्रेम, विश्वास, धैर्य व प्रसन्नता को उजागर करते हैं।

इस वर्ष नवरात्रि का यह पर्व समस्त सृष्टि को पावन, स्वच्छ, शीतल तथा सरस भावों और अनुभूतियों से सराबोर कर दे। इसी कामना के साथ प्रस्तुत है यह कविता–

No 5
इस वर्ष नवरात्रि में

सुर सवरे सरगम सजते

इस वर्ष नवरात्रि में।

हर मन खुश हो तन मन

थिरके इस वर्ष नवरात्रि में।।

धरती गगन भी झूम उठे।

जयकारा माँ का गूँज उठे।।

ढोलक की थाप नूपुर की झंकार

शंख नाद भी घहर उठे, इस वर्ष नवरात्रि में।।

हर कलुष मिटे हर क्लेश घटे।  

हर मन पावन मनभावन हो।।

हर मन का कोना पुलकित हो।

हर दिन सपनों सा सुंदर हो, इस वर्ष नवरात्रि में।।

 

हर घर में प्रेम प्रसारित हो।   

हर घर स्नेह सुगंधित हो।। 

हर दीप प्रज्वलित ज्ञान का

अज्ञान का अंधकार मिटे, इस वर्ष नवरात्रि में ।।

जीवन को नई दिशा मिले।

सुख शांति की लहर चले।।

सौभाग्य सौहार्द के फूल खिले।

मन पवित्र तन हर्षित हो, इस वर्ष नवरात्रि में।।

स्वस्थ काया महक उठे।

हर तरफ सरसता बहक उठे।।

हर चेहरे पर मुस्कान खिले।

हर मुखमण्डल सौगात बने, इस वर्ष नवरात्रि में।।

सुर सवरे सरगम सजते

इस वर्ष नवरात्रि में।

हर मन खुश हो तन मन

थिरके इस वर्ष नवरात्रि में।।

सच माँ दुर्गा के ये नौ दिन बेहद खास होते हैं। मन शांति का अनुभव करता है और हर ओर सुगंधित बयार बहती है। नवरात्रि, नवदुर्गा और रामनवमी जैसे पर्व हम मनुष्य जाति को धार्मिकता का पाठ पठाने आते हैं।

यह धार्मिक भावना न महज पूजा अर्चना तक सीमित है बल्कि मन को पवित्र विचारों व अनुभूतियों से सिंचित करने वाली फुहारें है, जिसमें तन से लेकर आत्मा तक शीतलता का अनुभव करती है।

आशा करती हूँ इस सुहावने सफर की कविताएं आप सभी के जीवन के सफर को भी सुहावना व सुखद बनाने में सफल रहेंगी।

प्रस्तुत की स्वरचित कविताओं के माध्यम से सभी को नवरात्रि पर्व की ढेरों शुभकामनायें। माँ नवदुर्गा सभी की मनोकामनाएं पूर्ण करें। सभी स्वस्थ रहें, मस्त रहें तथा सुरक्षित रहें नमस्कार

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