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How to Learn Hypnotism in Hindi | सम्मोहन विद्या सीखने के 7 Best आधार एवं निर्देश

How to Learn Hypnotism in Hindi
How to Learn Hypnotism in Hindi  

How to Learn Hypnotism in Hindi सम्मोहन ज्ञान को सीखने का तरीका बताता है। सम्मोहन विद्या सीखने के लिए पाठकों की उत्सुकता को देखते हुए,

आज मैं सम्मोहन विद्या सीखने के आधार तथा निर्देश का विस्तार से वर्णन साझा कर रही हूँ।

सम्मोहन ज्ञान प्राप्त करने के लिए सबसे पहले आपको मानसिक रूप से तैयार होने की जरूरत है। इसके लिए सम्मोहन विद्या की जानकारी होना आवश्यक है।

सम्मोहन ज्ञान की जानकारी के लिए हम सर्वप्रथम सम्मोहन संबंधी आधार तत्वों का अध्ययन करेंगे। आइए जाने आधार तत्व क्या होते हैं?

अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मनुष्य को प्रयास करने पड़ते हैं। प्रयास किस दिशा में किया जाए और किस प्रकार किया जाए इसके लिए कार्य करने के कुछ आधार होते हैं।

उन आधारों की सहायता से हम अपने लक्ष्य को पूर्ण करने में सफलता पाते हैं। जैसे- किसी विषय में परीक्षा देने के लिए उस विषय का पूरा ज्ञान,

उससे संबंधित अध्ययन सामग्री, विषय का पाठ्यक्रम तथा प्रश्न पत्र का प्रारूप उस परीक्षा में सफलता दिलाने के आधार होते हैं।

ठीक उसी प्रकार सम्मोहन विद्या की प्राप्ति के आधार भी होते हैं। ये आधार कौन से हैं? और किस प्रकार सम्मोहन ज्ञान में सहायक हैं? प्रस्तुत पोस्ट में हम जानेंगे।

सम्मोहन सीखने के आधार ही सम्मोहन का ज्ञान प्रदान करने की पहली सीढ़ी होते हैं। तो आइए आज सम्मोहन विद्या के 7 रोचक व महत्वपूर्ण आधारों का अध्ययन करें।

यदि आप पूरे मन से सम्मोहन के विषय में जानना चाहते हैं, तो कहना चाहती हूँ की पोस्ट पूरा अवश्य पढे अधूरा ज्ञान अधिक नुकसान देह होता है।

अंत तक पोस्ट में बहुत से निर्देश भी दिए गए है। इसलिए कृपया अधूरा ज्ञान प्राप्त करके किसी नतीजे पर ना जाए। पोस्ट को अंत तक अवश्य पढे।

सम्मोहन विद्या सीखने के आधार

सम्मोहन ज्ञान के क्षेत्र में प्रवेश करने से पूर्व हमारे मन में इस विद्या के प्रति विश्वास होना जरूरी है। मन में अविश्वास की भावना नही होनी चाहिए।

हम सभी जानते हैं की किसी भी लक्ष्य को प्राप्त करने में मनुष्य को उसकी भावना के अनुसार ही शुभ अशुभ फल की प्राप्ति होती है।

आपकी जैसी भावना होगी फल भी वैसा ही मिलता है। यदि आपका मन सफलता की सकारात्मक सोच से भरपूर है तो आप अवश्य ही सफलता पा सकेंगे।

आपको बताना चाहूँगी की यह पोस्ट पूर्णरूप से अध्ययन व शोध पर आधारित है। यह पोस्ट सम्मोहन ज्ञान प्राप्ति की प्रारम्भिक शिक्षा के लिए सहायक सिद्ध हो सकता है।

किन्तु प्रशिक्षण हेतु कुशल प्रशिक्षक का मार्गदर्शन आवश्यक है। आप किसी योग्य गुरु के मार्गदर्शन में दृढ़ संकल्प एवं पूर्ण आत्मविश्वास के साथ साधना करें – सफलता अवश्य मिलेगी।

How to Learn Hypnotism in Hindi

अब हम सम्मोहन विद्या प्राप्ति के आधारों का अध्ययन करेंगे –

शब्द ध्वनि (1)

सम्मोहन ज्ञान में शब्द ध्वनि का विशेष महत्व है। यह सम्मोहन ज्ञान प्राप्त करने का पहला आधार तत्व है। आपने अनुभव किया होगा की आप जैसा सोचते हैं, वैसा ही बोलते हैं और जैसा बोलते हैं, उसका प्रभाव भी वैसा ही होता है।

सरल शब्दों में कहने का मतलब यह है की आपकी भावना का आपकी शब्द ध्वनि से सीधा संबंध है और शब्दों की इसी शक्ति के अनुसार फल की प्राप्ति होती है।

आप ने अवश्य ही अनुभव किया होगा कि मधुर वचन सहज ही किसी व्यक्ति का मन मोह लेते हैं। कहावत भी है कि मीठे वचनों से अधिक कोई वशीकरण मंत्र नही है।

आप जानते हैं कि- मिलट्री में सैनिकों को उत्साहित करने के लिए बैंड बजाया जाता है, क्योंकि बैंड से निकली ध्वनि सैनिकों में वीर रस का संचार करती है।

सम्मोहन ज्ञान के साधकों को ध्वनि की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए, किन्तु इसके लिए तीव्र इच्छा शक्ति और दृढ़ विश्वास का होना आवश्यक है। विश्वास जितना दृढ़ होगा और भावनाएं जितनी प्रबल होंगी।

ध्वनि उतनी ही शक्तिशाली होगी और ध्वनि जितनी शक्तिशाली होगी मन उतना ही अधिक एकाग्र होगा। सम्मोहन विद्या को सीखने में सर्वाधिक आवश्यक है मन को एकाग्र करना।

क्योंकि मन की एकाग्रता ही दूसरों के चेतन मन पर प्रभाव डालती है। सरल तरीके से आप लोगों को समझाना चाहूँगी कि मान लीजिए-

प्रयोग के समय आप अपने माध्यम (जिसे आप सम्मोहित कर रहे है) को गहरी नींद में सुलाना चाहते हैं। उस समय माध्यम को सम्मोहित करते हुए उसे गहरी नींद में सोने का आदेश दें

अथवा कहें-“आप सो रहे हैं। आप बहुत तेजी से नीद की ओर बढ़ रहे हैं। आपकी पलकें भारी हो रही हैं। आप सो रहे हैं- अब आप गहरी नींद में सो रहे हैं।“

विश्वास कीजिए- आपके इन शब्दों का तत्काल प्रभाव होगा और वह गहरी नींद में सो जाएगा। सम्मोहन ज्ञान के क्षेत्र में यही है शब्द ध्वनि का महत्व। किन्तु इसके लिए आपको पहले से सम्मोहन विद्या में निपुण होना आवश्यक है।

चेतना शक्ति (2)

इस संसार में अनेकों वस्तुएं हैं जिन्हें हम दो भागों में बाँट सकते हैं एक वे जो जीवित है और दूसरी जो निर्जीव हैं। जो वस्तुएं जीवित हैं उन्हें हम चेतन कहते हैं,

क्योंकि उनमें चेतन शक्ति विद्यमान है। दूसरी अचेतन वस्तुएं हैं जिनमें चेतन शक्ति नही हैं।

सम्मोहन विद्या का प्रयोग हम उन्हें वस्तुओं पर कर सकते हैं जिनमें चेतन शक्ति मौजूद है। कारण है कि ऐसी ही वस्तुएं हमारी भावनाओं को समझ सकती हैं।

हमारी ध्वनि को सुन सकती हैं और इन्हीं चेतन शक्तियों पर हमारी चुंबकीय शक्ति जिसे आत्मिक शक्ति भी कहते है वह प्रभाव डाल सकती है, अत: चेतन शक्ति सम्मोहन विद्या प्राप्ति का दूसरा प्रमुख आधार है।

कहते है कि हमारा शरीर पाँच तत्वों से मिल कर बना है- पृथ्वी, आकाश, जल, वायु और अग्नि। इसप्रकार संसार में जितने भी तत्व है वे सभी हमारे अंदर मौजूद है।

यही कारण है की सूर्य की किरणें, चंद्रमा तथा विभिन्न ग्रहों की रश्मियां हमारे शरीर पर सीधा प्रभाव डालती हैं, क्योंकि हमारा शरीर इन तत्वों से मिलकर बना है तो सहज ही हमें प्रभावित करता है।

इन पाँच तत्वों के समान हमारी भावनाएं भी कार्य करती हैं। भावनाएं मन से उत्पन्न होती हैं और जब किसी और के मन से अर्थात किसी अन्य चेतना शक्ति से टकराती हैं तो उसपर निश्चय ही अपना प्रभाव डालती हैं।

अब हम बात करते हैं मानव मन की। मानव मन को हम दो रूपों में समझ सकते हैं- पहला चेतनमन और दूसरा अवचेतन मन। चेतन मन हर समय जाग्रत अवस्था में रहता है हम निरंतर अभ्यास से उसे वश में कर सकते हैं।

लेकिन अवचेतन मन पर हमारा नियंत्रण नहीं रहता। हम सोते समय जो भी स्वप्न देखते हैं वो अवचेतन मन के कारण ही देखते है।

अवचेतन मन इधर उधर भ्रमण करता रहता है। यही कारण है कि हम अपनी इच्छा अनुसार स्वप्न नही देख सकते।

किन्तु साधना एवं निरंतर अभ्यास द्वारा अपने चेतन मन को एकाग्र करके किसी दूसरे के अवचेतन मन को इच्छानुसार निर्देश दे सकते हैं। सम्मोहन विज्ञान इसी सिद्धांत के अनुसार कार्य करता है।

साधना (3)

सम्मोहन विद्या की प्राप्ति के आधार में साधना का विशेष स्थान है, अत: कह सकते है कि साधना के बिना सम्मोहन विद्या की प्राप्ति संभव नही।

साधना से ही सिद्धियाँ प्राप्त की जा सकती हैं, किन्तु इसके लिए सतत् अभ्यास, दृढ निश्चय एवं कठोर परिश्रम आवश्यक है।

साधना का अर्थ है अपने मन को साध लेना अर्थात मन को वश में कर लेना। अपने मन की वृतियों को चारों ओर से हटा कर केवल एक ही लक्ष्य पर केंद्रित कर लेना। 

इस मार्ग में कठिनाइयाँ आएंगी किन्तु साधना के बिना ज्ञान संभव भी नही। इसलिए सयम बनाए रखे और अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहें।

ध्यान (4)

सम्मोहन ज्ञान को प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण आधार है ध्यान। सरल शब्दों में ध्यान का अर्थ है- एकाग्रचित्त होना। यह ऐसी स्थिति होती है, जिसमें न तो मन में कोई भाव होता है और ना ही कोई वासना।

सम्मोहन विद्या के लिए मनुष्य जितना अधिक ध्यान की गहराई में उतरेगा- उतनी ही अधिक उसे सफलता मिलेगी। अत: साधक को चाहिए कि वह ध्यान के अभ्यास को अधिक करे।

अक्सर अपने दैनिक कार्य करते समय हम एक साथ तीन क्रियाएं करते है- एक तो जो कार्य कर रहे होते हैं वो भी करते हैं,

यदि कोई हमसे बात करता है तो हम उसका उत्तर भी देते हैं, और आश्चर्य की बात यह है की हमारा मन भी उस व्यक्त कही ओर ही विचरण कर रहा होता है।

लेकिन ध्यान की अवस्था में ऐसा नही होता। ध्यान की अवस्था दैनिक अवस्था से बिल्कुल भिन्न होती है। इस अवस्था में हमारी ऐच्छिक व अनैच्छिक क्रियाएं तो ठहर ही जाती हैं-

बल्कि हमारा मन भी एक ही स्थान पर रुक जाता है। और जब ऐसा होता है तो हमारी आंतरिक शक्तियां जाग्रत हो उठती हैं।

जब शक्तियां जाग्रत होती हैं तो हमारे शरीर में नए रक्त का संचार होता और हमारे तांत्रिका- तंत्र में विशेष प्रकार का कंपन होने लगता है।

मानसिक एकाग्रता (5)

सच तो यह है कि मन की एकाग्रता के बिना कोई भी साधना संभव नही है। बल्कि मन की एकाग्रता तो जीवन के प्रत्तेक क्षेत्र के लिए आवश्यक है। सम्मोहन सीखने के मार्ग में भी मानसिक एकाग्रता अत्यंत आवश्यक है।

किन्तु प्रश्न तो यह है कि मन को वश में कैसे किया जाए? या दूसरे शब्दों में कह सकते है कि मन को किस प्रकार एकाग्र किया जाए?

आज के समय में हर व्यक्ति हर पल मानसिक तनाव में जीता है। कभी समय पर बस न मिलने की समस्या, कभी ऑफिस की परेशानी, कभी स्वास्थ्य की समस्या, धन कमाए की चिंता, तो कभी पारिवारिक समस्याएं।

इस संसार में शायद ही कोई व्यक्ति हो जिसके सामने कोई समस्या न हो। या जो मानसिक तनाव से मुक्त रहता हो। मन को तो उड़ते पक्षी की संज्ञा दी गई है और ऐसा पक्षी जो सदैव भ्रमण ही करता रहता है ठहरना नही जानता।

हम पूजा कर रहे होते हैं तो मन उलझ जाता है जीवन की समस्याओं में, ऑफिस में हैं तो मन मार्केट में, कॉलेज में क्लास चल रही और मन पार्टी कर रहा। है न यह अजीब बात?

मन की चंचलता के अलावा काम, क्रोध, लोभ, मोह तथा ईर्षा हर पल इस तरह के अनेकों शत्रु घेरे रहते हैं। ऐसे में मन की एकाग्रता की बात तो कल्पना ही है।

लेकिन हम यह भी जानते हैं किसी भी साधन के लिए मन को एकाग्र करना बहुत आवश्यक होता है। इसलिए अगर आपको सम्मोहन के मार्ग पर चलना है तो चित्त वृतियों पर नियंत्रण करना ही पड़ेगा।

इसके लिए उपाय केवल एक ही है। आप समाधि के क्षणों में अपनी समस्याओं को भूल जाए। चिंता से मुक्त रहने का अभ्यास करें। अपने मन से प्रतिस्पर्धा, बैर की भावनाओं को निकाल दें।

समाधि (6)

जैसा की अभी हमने पढ़ा मानसिक एकाग्रता को समाधि द्वारा प्राप्त किया जा सकता है, अब हम समाधि के बारे में विस्तार से पढ़ेंगे।

सम्मोहन विद्या के साधक के लिए समाधि का ज्ञान होना अतिआवश्यक है। एकाग्रचित्त होकर अपने लक्ष्य के विषय में सोचना और दृढ़ संकल्प के साथ अपने लक्ष्य की ओर बढ़ना ही समाधि के लक्षण कहे जाते हैं।

हमारे योग दर्शन में समाधि को योग का प्रमुख अंग माना गया है। यम, नियम, आसन, प्राणायाम, धारणा और ध्यान के बाद हम समाधि की ओर अग्रसर होते हैं। यह मार्ग अत्यंत कठिन है।

सम्मोहन विद्या के साधकों के लिए हमारा संकेत ऐसी समाधि से बिल्कुल नही है। सम्मोहन विद्या के साधकों को चाहिए कि वे समाधि के सरल मार्ग को ही अपनाए।

इसके लिए आपको चाहिए कि प्राणायाम की तीनों क्रियाओं (पूरक, कुम्भक एवं रेचक) को पूरी तरह सिद्ध कर लें।

आइए जाने इन तीनों क्रियाओं के बारे में- पूरक क्रिया में साँस को दस सेकंड तक अंदर लिया जाता है। कुम्भक क्रिया में साँस को पचास सेकंड तक अंदर रोंका जाता है।

इसके बाद रेचक क्रिया में साँस को धीरे धीरे पंद्रह सेकंड में बाहर छोड़ देते हैं। एक बार ये क्रियाएं करने के बाद आठ सेकंड का विश्राम लिया जाता है।

विश्राम के बाद उपरोक्त क्रिया को तीन बार दोहराए। ध्यान रखे की आपको तीन बार की क्रियाओं में आठ सेकंड का विश्राम जरूरी है।

इन क्रियाओं में केवल पाँच मिनट का समय लगता है। यदि आप साधना करने के इच्छुक हैं तो साधना  से पहले प्राणायाम की इन क्रियाओं का अभ्यास पाँच मिनट अवश्य करें।

ऐसा करने से सफलता आपसे दूर नही होगी। प्राणायाम से एक तो आपकी साधना को शक्ति मिलेगी और दूसरी ओर आपका मनोबल भी बढ़ेगा। सामान्य जीवन में भी प्राणायाम की इन क्रियाओं से बहुत लाभ मिलता है।

एकाग्रचित्त समाधि (7)

समाधि की स्थिति तक पहुँचने के बाद एकाग्रचित्त समाधि की स्थिति आती है। निरंतर अभ्यास एवं दृढ़ संकल्प के साथ कोई भी इस स्थिति तक पहुच सकता है। अब हम जानेंगे समाधि और एकाग्रचित्त समाधि में क्या अंतर है-

साधारण समाधि में आप पूरी तरह होश में होते हैं। आपका आपकी साँसों पर पूरा नियंत्रण रहता है।

आपको यह भी ज्ञात रहता है कि आप अपनी प्राण वायु द्वारा षठ चक्रों का भेदन कर रहे हैं। आपकी मेरुदंड में विचित्र प्रकार का कंपन महसूस होता है।

किन्तु जब आप एकाग्रचित्त समाधि में पहुंचते हैं तो ये सभी अनुभव समाप्त हो जाते हैं। उस समय साँसों की गति मंद हो जाती है और आपका अपने अवचेतन मन पर पूरा नियंत्रण हो जाता है।

सम्मोहन विद्या सीखने के लिए ये सभी आधार आवश्यक और महत्वपूर्ण हैं, किन्तु कुछ निर्देशों का पालन भी आवश्यक है जो इसप्रकार हैं –

सम्मोहन विद्या सीखने के आधार संबंधी महत्वपूर्ण निर्देश –

सम्मोहन विद्या सीखने की तैयारी केवल उपरोक्त वर्णित आधारों के अभ्यास से ही संभव नही है बल्कि कुछ महत्वपूर्ण निर्देश भी है जिनको ध्यान में रखना अतिआवश्यक है-

अपने अनुभव गुप्त रखें –

ध्यान रहे कि आप अपने अनुभव दूसरों पर प्रकट ना करें। कुछ लोग ख्याति पाने की कोशिश में लोगों को अपने अनुभव बढ़ा चढ़ा कर बताते हैं

किन्तु ऐसा नही करना चाहिए। यदि आप सच्चे साधक है तो आपका उद्देश्य अपने लक्ष्य तक पहुचना है ना की झूठी प्रशंसा प्राप्त करना।

साधना का प्रदर्शन न करें –

आप कोई भी साधना कर रहें हो उसकी वार्तालाप किसी से भी न करें। साधना का प्रदर्शन करना जरूरी नही अपने लक्ष्य को पाना आपका धेय होना चाहिए।

कुछ लोग थोड़ी सी सफलता मिलते ही स्वयं को सफल मानने लगते हैं और अहंकार से भर जाते हैं। हमारी यही सलाह है की आप किस तरह की गलती न करें,

क्योंकि ऐसा करने से आपके अंदर अहं की भावना उत्पन्न हो जाएगी। अहंकार मनुष्य का सर्वस्व नष्ट कर देता है अत: अहं भाव आने से आपकी साधना बेकार हो जाएगी।

गर्व ना करें –

हमें अपनी किसी भी सफलता में गर्व नही करना चाहिए हाँ स्वयं पर विश्वास जरूर रखना चाहिए। आपके प्रयासों में सफलता ईश्वर की कृपा से मिली है इसका सम्मान करें।

यदि आप गर्व करने लगेंगे तो आपके मन में अनेक बुराइयाँ उत्पन्न हो जाएंगी। जिसके परिणामस्वरूप आपकी सभी आंतरिक शक्तियां जिन्हें आपने जाग्रत किया है वे धीरे धीरे समाप्त होने लगेंगी।

विनम्र रहें –

सम्मोहन ज्ञान में उत्तेजना व क्रोध का कोई स्थान नही है इसलिए इन भावों से बचें। विनम्र बने रहें क्योंकि आपकी विनम्रता में ऐसी शक्ति है जो किसी भी व्यक्ति को आपकी ओर आकर्षित कर सकती है।

एक साधक में यह गुण होना चाहिए कि वह विनम्र हो। उसके मन में किसी के प्रति कभी कटुता ना आए। ध्यान रहें कभी भी कटु शब्दों का प्रयोग ना करें।

दूसरों के मनोभावों को समझें –

सम्मोहन ज्ञान के साधक में अपने माध्यम के अथवा दूसरों के मनोभावों को समझने का गुण होना अत्यंत आवश्यक है। दूसरा व्यक्ति आपसे क्या उम्मीद रखता है इसे समझें।

मनोवैज्ञानिक ढंग से उसके मन का विश्लेषण करें और तभी अपनी बात कहें। यदि आप किसी व्यक्ति  की मनोभावना को समझे बगैर अपनी बात कहते रहेंगे तो निश्चय ही वह आपसे सहमत नही होगा।

ऐसे में आपकी मधुर वाणी भी उस पर प्रभाव नही डाल पाएगी।

मोहक दृष्टि –

सम्मोहन ज्ञान के साधक की दृष्टि मोहक होनी चाहिए। जिस समय आप किसी माध्यम की ओर देखे उस समय आपकी दृष्टि एकाग्र तो होनी ही चाहिए,

साथ ही आँखों में ऐसा आकर्षण होना चाहिए की माध्यम ध्यान से आपकी ओर देखता रहें। ध्यान रहें उस समय चेहरे पर भयानक भाव न हों बल्कि मधुर मुस्कान झलकती हो।

दुरुपयोग न करें –

यदि आपने सम्मोहन विद्या सीख ली है तो इसका दुरुपयोग कभी ना करें यह एक पवित्र विद्या है साधना है यह लोगों के भले के लिए ही प्रयुक्त करनी चाहिए वरना जिस विद्या को इतनी मेहनत और लगन से आपने पाया है उसे समाप्त होते समय नही लगेगा।

उपसंहार

आशा करती हूँ की प्रस्तुत पोस्ट के माध्यम से आपको How to Learn Hypnotism in Hindi तथा उसके निर्देशों का पूर्ण ज्ञान प्राप्त हो गया होगा।

फिर भी यदि किसी प्रकार की असुविधा हो तो सूचित अवश्य करें। आपके सुझाव हमारा मार्गदर्शन हैं। सभी स्वस्थ रहें, मस्त रहें और सुरक्षित रहें।

नमस्कार।

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