जिन्दगी क्या है?
Jindagi Kya Hai? यह प्रश्न तो छोटा है किन्तु इसका उत्तर असीम, अगाध और विस्तृत है। इसको समझना आसान नहीं। जिन्दगी कभी सुहावना सपना है, तो कभी कटु वास्तविकता।
जिन्दगी कभी खुशियों की राशि है तो कभी दुखों का पिटारा। जिंदगी क्या है? क्यूँ ये कभी हमें हंसाती है तो कभी गम के अथाह सागर में डुबाती भी है।
जिन्दगी कभी उगते सूर्य की तरह जीने की प्रेरणा देती है तो कभी सूर्य के डूबने का इंतज़ार और विश्राम।
मैंने अपने पोस्ट के माध्यम से जिन्दगी के विभिन्न पहलुओं की जिज्ञासाओं को समझने का प्रयास किया। जैसे- मानवीय संवेदना क्या है? कल्पना शक्ति का क्या महत्व है?
विचार क्यूँ उत्पन्न होते हैं? भावनाएं हमारे जीवन को कैसे प्रभावित करती हैं? और यादें क्यूँ हमें अपनी गिरफ्त में रखती हैं?
परंतु आज विचारों के अथाह सागर में निमग्न होकर मन ने एक अत्यंत महत्वपूर्ण प्रश्न को सुलझाने की इच्छा जाग्रत की। यह प्रश्न जिन्दगी की किसी समस्या या पहलू से संबन्धित नहीं है।
जी हाँ यह है जिन्दगी को समझने का। जिंदगी क्या है? क्यूँ यह अक्सर हमारे सामने विकट परिस्थितियों को उपस्थित कर देती है? और किस प्रकार हम एक खुशहाल जिन्दगी जी सकते हैं?
तो आइए प्रस्तुत पोस्ट के माध्यम से हम जिन्दगी के अस्तित्व को जानने समझने का प्रयास करें।
जिंदगी एक परीक्षा
मेरे विचारों से जिन्दगी एक परीक्षा है, जिसप्रकार परीक्षाओं में हम कभी सफल तो कभी असफल हो जाते है। सफलता के पलों में हम खुश होते है और असफलता के क्षणों में अत्यंत दुखी।
ठीक उसी प्रकार जिन्दगी रूपी परीक्षा में भी हमें सुख-दुख, सफलता-असफलता और उन्नति-अवनति का सामना करना पड़ता है।
हमारी जिन्दगी अनेक लोगों व रिश्तों से घिरी होती है। जिन्दगी की परीक्षा के समय हमें सच्चे रिश्तों और लोगों की पहचान होती है।
तो जिन्दगी की परीक्षाओं से घबराएँ क्यूँ बल्कि उनका डट कर सामना करें क्योंकि ये हमारी सच्ची साथी और मार्गप्रदर्शक होती है, जो हमें समय-समय पर सच्चे और झूठे लोगों की परख कराती हैं।
शब्द जो कभी हमें सहला कर प्यार का अहसास देते हैं, वही शब्द कभी तीर के समान मन को चुभते भी हैं।
हम सभी को जिन्दगी में अक्सर ऐसे लोग मिलते हैं जो अपना स्वार्थ सिद्ध करके आपको शब्दों के ऐसे बाण मारते हैं की बस पूछिये ही मत। फिर ऐसे शब्दों के घावों को कैसे भरा जाए यही प्रश्न सामने आता है।
उत्तर है ऐसे कटु भाषी लोगो की बातों को दिल से न लगाए बल्कि जिन्दगी का शुक्रिया अदा करें की आपको उसकी स्वार्थपरता का पता चल गया।
जिंदगी एक लम्बी यात्रा है
जिन्दगी एक लंबी यात्रा है, जो निरंतर चलती रहती है। हम थक जाए विश्राम करें, किन्तु समय चलता रहता है। बिना थके बिना रुके और जिन्दगी बहती रहती है।
जिन्दगी की इस यात्रा में अनेक पड़ाव आते है जैसे- सुख-दुख, हर्ष-विषाद, धूप-छाव, प्यार और धोखा।
ये सभी अनुकूल और प्रतिकूल परिस्थितियाँ हमारे जीवन के दो पहलू है। दिन-रात की तरह ये भी निरंतर गतिमान रहती हैं। हमें जिन्दगी की यात्रा के प्रतिकूल पड़ाव में भी आशावादी व्यक्तित्व अपनाना चाहिए।
फिर देखिएगा आप जिन्दगी की प्रतिकूल परिस्थितियों में भी खुशहाल और शांतिपूर्ण जीवन बिता सकेंगे। अक्सर हम लोग सोचते हैं की जिन्दगी हमें अपने संकेतों पर ही नचाती है।
हम जो चाहते है वो नहीं कर पाते। किन्तु ऐसा नहीं होता है, बल्कि हम जब स्वयं से हार जाते हैं तब हम कुछ नहीं कर पाते।
आत्मविश्वासी बनें जिन्दगी में उम्मीदों का दमन कभी न छोड़ें स्वयं पर विश्वास रखें और आगे बढ़े। आप स्वयं देखेंगे की एक नई सोच,
आत्मविश्वास और बस एक उम्मीद आपको अथाह आत्मसंतुष्टि प्रदान करेगी।
अनंत आकांक्षाओं का पिटारा
जिंदगी में आकांक्षायेँ कभी समाप्त नहीं होती हैं। बस ये समझिए की हमारी जिंदगी इच्छाओं का पिटारा है जो कभी खाली नहीं होता है। तरक्की करना, धन कमाना, आराम की जिंदगी बिताना आदि इच्छाएं हावी रहती हैं ।
वर्तमान समय में हम वैश्विक जीवन जी रहे हैं बस आगे बढ़ने की सोचते है। भले ही आगे बढ़ने की होड़ में हम कितने अपनों को पीछे छोड़ आते है, कितनों को धोखा देते हैं और कितनों के दिल दुखाते हैं।
पर क्या उस सफलता और उन्नति से हम प्रसन्नचित रह पाते हैं? बिलकुल नहीं स्वार्थी व्यक्ति कभी भी प्रसन्नचित नहीं रह पाता क्योंकि उसके पास जो है वह उसमें संतुष्ट रहने की बजाए दूसरों के पास जो है वही सोच कर दुखी रहता है।

प्रकृति का सुखद आनंद
यदि एक ओर जिंदगी भाग दौड़ है तो दूसरी ओर आनंद, सुख, शांति और सौन्दर्य का खजाना। आवश्यकता है, अपनी गलती मानने की और आत्मसुधार करने की।
अगर हम अपनी जिन्दगी में संतुष्ट और प्रसन्नचित रहना चाहते हैं, तो हमें अपनी कमियों को अनदेखा नहीं करना चाहिए। कमियों को नज़रअंदाज़ करने से बेहतर है उनमें सुधार करना।
क्या आप जानते हैं? कि जीवन और प्रकृति का तादात्म्य अनंतकाल से रहा है। प्रकृति सदैव से ही मानव जीवन को नवीन चेतना और नवीन सोच प्रदान करती आई है।
यदि आप अपने जीवन कि किसी उलझन से परेशान हैं और मन बेचैन है तो प्रकृति के सानिध्य में आइए।
प्रात: काल की सूर्य की प्रथम किरण का स्पर्श कीजिये और सूर्योदय की सुहावनी बेला की तरोताजगी को महसूस कीजिये। प्रकृति के सौन्दर्य को जी भर निहारिए तथा शीतल मन्द बयार में खुल कर गहरी साँस लीजिये।
निश्चित ही जितनी शांति, सुख, सुकून, प्यार और आनंद आपको प्रकृति के सानिध्य में प्राप्त होगा। उतना अन्यत्र नहीं, साथ ही आपको आपकी जीवन की उलझन व समस्या का समाधान भी अवश्य ही प्राप्त होगा।
कहते हैं ‘मन चंगा तो कठौती में गंगा’ अर्थात यदि मन स्वच्छ है खुश है तो गंगा की पवित्रता हमें कठौते के जल से ही प्राप्त हो जाती है।
तो चलिये मन को शांत, संतुष्ट, स्वच्छ और प्रसन्नचित रखने की कोशिश करें। आत्मविश्वासी, दृढ़निश्चयी, आशावादी, मितभाषी और खुशमिजाज़ व्यक्तित्व अपनाइए
फिर देखिये जिंदगी की यह यात्रा भी आपके और आपके अपनों के लिए सुखकर व शांतिप्रिय रहेगी। जिंदगी क्या है?
इसे और अधिक स्पष्ट करते हुये अपने अगले पोस्ट में जिन्दगी की विभिन्न परिस्थितियों से संबन्धित स्वरचित कवितायें साझा करूंगी।
आप सभी खुश रहिए, प्रसन्न रहिए, स्वस्थ रहिए और मेरे अगले पोस्ट को अवश्य पढिए। आप सभी स्वस्थ रहें, मस्त रहें और सुरक्षित रहें नमस्कार।