New Year Poem in Hindi नए साल के अवसर पर आज प्रस्तुत है स्वरचित कविताओं का यह सफर। नव वर्ष 2022 की यह कविताएं आपके और हमारे जीवन के विभिन्न पहलुओं से संबंधित हैं,
अवश्य ही ये कविताएं आपको आपकी जिंदगी से रूबरू कराने में सफल रहेंगी। नव वर्ष 2022 की हार्दिक शुभकामनाएं।
नए साल का आगमन होते ही झडी लग जाती है नए सपनों, चाहतों, उम्मीदों, आशाओं और सुनहरे ख्वाबों की, पर साथ में आते हैं, जीवन के संघर्ष और चुनौतियां।
इन चुनौतियों का साहस से सामना करके हमें अपने जीवन को सवारना व सजाना पड़ता है। यही जीवन का यथार्थ सत्य है।
तो आइए जिंदगी के इन्हीं उतार चढ़ाव के साथ चलते हैं, नए साल के इस बेहतरीन कविताओं के सफर पर और मिलते है नए सपनों, ख्वाहिशों, चुनौतियों व उम्मीदों से।
क्या नव वर्ष 2022 का आगमन अत्यंत शुभ होगा? नए साल की नई सुबह, प्रथम किरण क्या हमारे जीवन को नवीन चेतना, नई सोच व प्रसन्नता से भर देगी? क्या हम अपने लक्ष्य को पा सकेंगे?
क्या हम उन्नति के सोपान चढ़ेंगे? एसे ही अनेक प्रश्न हमारे मन में उभरते रहते हैं और हमें जिंदगी के सफर में आगे बढ़ने की क्षमता प्रदान करते हैं –
कविता (1) नया साल
नए साल में क्या होगा क्या नया समा सजाएंगे।
नए सपनों की इच्छाओं को क्या हम सच कर पाएंगे॥
पग पग बाधाओं को सह कर
नया जोश ला पाएंगे।
कोशिश करते रहें हैं जिसकी
क्या हम वो पा जाएंगे॥
नए सपनों की इच्छाओं को क्या हम सच कर पाएंगे॥
बीते दिनों की स्मृतियों को
क्या हम भूल पाएंगे।
सन्नाटे में छिपी करह को
मंद मुस्कान बनाएंगे॥
नए सपनों की इच्छाओं को क्या हम सच कर पाएंगे॥
चलते चलते कदम थके
क्या अब मंजिल पा जाएंगे।
सोचा करते हर पल जो
उस सोच को संबल बनाएंगे॥
नए सपनों की इच्छाओं को क्या हम सच कर पाएंगे॥
सुनहरे से ख्वाबों को फिर
इक बार सजाएंगे।
दृढ़ निश्चय करके उनको
साकार कर पाएंगे॥
नए सपनों की इच्छाओं को क्या हम सच कर पाएंगे।
नए साल में क्या होगा क्या नया समा सजाएंगे॥
पिछले वर्षों 2020 से 2021 तक जिस महामारी से हम आक्रांत रहे वह आज भी हमें भयभीत कर रही है। अपनों का बिछड़ना आज भी हम भूल नही पाए और शायद भूल भी न पाएं।
नव वर्ष 2022 में भी कोरोना महामारी का भय खत्म नही हो रहा। अधिक शक्ति के साथ नया स्ट्रेन आने की आशंका के बीच क्या हम फिर से सुखी रहने की उम्मीद जगा पाएंगे? क्या कभी एक स्वस्थ समाज बना पाएंगे?
ये सभी विचार हमें बेचैन करते रहते हैं। किन्तु हर अंधेरी रात के बाद उज्ज्वल प्रकाश रूपी भोर होती ही है, अत: अवश्य ही हम नई उम्मीदों पर खरे उतरेंगे। हम थक सकते हैं लेकिन हार नही-
कविता (2) उम्मीद
थक गई है आस अब, उम्मीद की राह ताक।
उम्मीद जो खोई कहीं, वक़्त की तीव्र धार॥
चाँद जाने क्यूँ छिपा,
बादलों के घने जाल।
टिमटिमाते तारों पर भी,
कोहरे की धुंध अपार॥
सुबह भी अब खोजती है,
सूर्य का निर्मल प्रकाश।
सूर्य की किरणों का भी हो, अब धरती से साक्षात्कार॥
शांत लहरे हो चली,
हलचल का उनमें अभाव।
डालियों का सौन्दर्य भी,
हो चला अब जार-जार॥
पवन के झोंकों में भी,
उदासी का है साम्राज्य।
पक्षियों के कलरव में भी, आह की ही है पुकार॥
हो चुका अब खूब,
मानव मन पर आघात।
प्रकृति भी अब सोचती है,
फिर खिले यौवन अपार॥
वक़्त का सागर ही दे,
अब प्रेरणा की पतवार।
उम्मीद हो खुशियों की, रौशन हो जिससे संसार॥

सच ही है इक आस ही जीवन के लिए विश्वास उत्पन्न करती है और एक उम्मीद बुझते हुए दिए को भी जलाए रखने की सामर्थ रखती है।
जीवन जिसे हमें हर हाल में जीना है, तो फिर उम्मीद का दामन क्यूँ छोड़ें। क्यूँ हताश और निराश हो कर बैठे। आइए उम्मीदों को संबल बनाए और नव वर्ष की सुखद कल्पनाओं को सजाए।
कल्पनाएं ही यथार्थ का आधार हैं। कल्पनाए ही हमें उत्साह से भर देती हैं और असंभव को भी संभव कर देती हैं। इस संसार में जितने भी आविष्कार हुए हैं उनके पीछे आविष्कारकों की कल्पना शक्ति का ही हाथ रहा है।
तो चलिए नए साल की पहल सुंदर विचारों व भावनाओं की इस कविता के साथ करें-
कविता (3) नई पहल
नव वर्ष में जीवन की नई पहल हो जाएगी।
संघर्ष से भरी जिंदगी कुछ सरल हो जाएगी॥
महामारी की चली लहर
शायद शांत हो जाएगी।
ओमीक्रॉन के डर पे साहस से
विजय मिल जाएगी॥
अनसुलझे रहस्य से
अब रहस्य खुल जाएगा।
चली आ रही कूटनीति का
अब सिलसिला थम जाएगा॥
सुनहरे सपनों से धुंध का
बादल अब छट जाएगा।
नए अम्बर पर स्वर्ण सम
प्रथम सूर्य जगमगाएगा॥
कुछ ऐसा समय आएगा
हर क्षण हमको भाएगा।
हर आँगन में हलचल होगी
हर चेहरा मुस्काएगा॥
हर पल कठिनता से जो बीता
अब सरल हो जाएगा।
हर अभावग्रस्त जीवन को
सुख का वरदान मिल जाएगा॥
कदम कदम पर आए संकट का
खतरा टल जाएगा।
दुर्गम राहों को सरलता से
नया मार्ग मिल जाएगा॥
नव वर्ष में जीवन की नई पहल हो जाएगी।
संघर्ष से भरी जिंदगी कुछ सरल हो जाएगी॥
साल 2022 की सुखद कल्पनाएं हमें जीवन पथ पर अग्रसर होने की ऊर्जा प्रदान करती हैं। हर संकट का सामना करने का हौसला देती है।
तो आइए 2020 से चले आ रहे हालातों पर विजय पाएं और नव वर्ष 2022 का स्वागत करें-
कविता (4) साल निकलता जा रहा
साल निकलता जा रहा हालात अभी बाकी है।
तूफान निकल गया अहसास अभी बाकी हैं॥
क्या खोया, क्या पाया
हिसाब अभी बाकी है।
हर पल खुश रहने के
जज़्बात अभी बाकी हैं॥
साल निकलता जा रहा हालात अभी बाकी हैं।
हर पल आँखों से वो
मंजर निकलता रहा॥
हम वहीं खड़े रहे
वक़्त फिसलता रहा।
वक़्त के साथ लोगों का
व्यवहार बदलता रहा॥
वक़्त की पैनी धार की
क्या मार अभी बाकी है?
साल निकलता जा रहा हालात अभी बाकी हैं॥
अब आज़ादी का अहसास
खोता जा रहा।
घर कैद हो जीवन
बदलता जा रहा॥
आत्मबल का विश्वास
अभी हावी है।
इस मन में तमन्नाओं
की बाढ़ अभी बाकी है॥
साल निकलता जा रहा हालात अभी बाकी हैं।
वक़्त का दरिया है,
जो बहता ही जा रहा॥
चुनौतियों की लहरों को
लहराता ही जा रहा।
लहरों में उम्मदों की
पतवार अभी बाकी है॥
निराशा में आशा की
पुकार अभी बाकी है।
साल निकलता जा रहा हालात अभी बाकी हैं॥
तूफान निकाल गया अहसास अभी बाकी है॥
साल दर साल निकलते जाते हैं, कभी हालात बेहतर होते हैं तो कभी बत्तर। समय है, जो फिसलता जाता है। हर साल अनेक खुशियां भी मिलती हैं और ग़म भी।
हमें अपनी खुशियों के पलों को सदैव याद रखना चाहिए। यही पल संघर्ष की घड़ी में ढाढ़स बधाते हैं।
चुभती हुई यादों को मन के किसी कोने में कैद कर लेना चाहिए ताकि हम सकारात्मक सोच के साथ जीवन में आगे बढ़ सकें-
कविता (5) हर साल की खुशियाँ
हर साल की खुशियों को जीवन अपना मान लिया।
नव वर्ष के उत्साह को भी भावनाओं में जगा लिया॥
हर तकलीफ सह कर भी
उनको अब तक गिना नही।
यादों के रुपहले परदे में
बस उनको यूँ छिपा लिया॥
हर साल की खुशियों को जीवन अपना मान लिया।
नव वर्ष के उत्साह को भी भावनाओं में जगा लिया॥
नव पहल, नव चहल,
नव जीवन, नव आगमन
नव धरती के कण कण को
सौन्दर्य नेत्र से निहार लिया।
हर साल की खुशियों को जीवन अपना मान लिया॥
ख्वाबों को बुना सपनों को चुना
टूटे सारे सपने चाहे॥
पलकों के तले फिर से
स्वप्न कवल खिला लिया।
हर साल की खुशियों को जीवन अपना मान लिया॥
हँसी मिली कभी खुशी मिली,
दर्द फिर म्लान मुस्कान
फिर हमने मन के सागर को
सुख सरिता से मिला लिया।
हर साल की खुशियों को जीवन अपना मान लिया॥
चाँद तका कभी तारे गिने
तारों को गिन कर थके कभी॥
फिर बेचैन मन को
धवल चाँदनी से धुला लिया।
हर साल की खुशियों को जीवन अपना मान लिया॥
गिनने में खुशियां पोरों पर
ग़म का हिसाब किया ही नही।
फिर मिली जब इक मुस्कान
हौसला अपना बढ़ा लिया॥
हर साल की खुशियों को जीवन अपना मान लिया।
नव वर्ष के उत्साह को भी भावनाओं में जगा लिया॥
समय का चक्र यही सिखाता है कि खुशी के पलों को जी भर मनाए और दुख के वक्त साहस को बनाए रखे। हालात कैसे भी हो अपनों का साथ हमेशा हमें हिम्मत देता है इसलिए अपनों का दामन कभी ना छोड़े।
फिर देखिए लाख परेशानियों के बीच भी नए साल की किरणे हमें नवीन ऊर्जा, प्रसन्नता और विश्वास प्रदान करेंगी-
कविता (6) प्रथम किरण
नए साल की प्रथम किरण ही दे अब इतना विश्वास।
बन सकें हम स्वस्थ हो महामारी का विनाश॥
समय समय पर डसते डंक,
कदम कदम पर चुभते कांटे।
दे मन को ऊर्जा अपार॥
कर सके जीवन शृंगार।
नए साल की प्रथम किरण ही दे अब इतना विश्वास॥
शीत ऋतु की तड़प में भी,
खिल सके चमकीली धूप।
मुरझाए चेहरे भी खिल उठे॥
कर सके नया आह्वान।
नए साल की प्रथम किरण ही दे अब इतना विश्वास॥
हर राही को सफर मिले,
अनजाने को मिले पहचान।
लक्ष्य को पाकर खुशी मिले॥
कर सके नव जीवन निर्माण।
नए साल की प्रथम किरण ही दे अब इतना विश्वास॥
हर मन को मनमीत मिले,
घुले रिश्तों में भावनाएं।
शाखों पर कलियाँ खिलें॥
हर घोंसले में हो किलकार।
नए साल की प्रथम किरण ही दे अब इतना विश्वास॥
यह विश्वास ही मानव जाति को हर समस्या से उबार सकता है। इस विषम स्थिति से भी हम उबर जायेगें। लेकिन हमें सावधानी बरतनी होगी। लापरवाही की कोई गुंजाइश ही नही है।
मास्क को अपना कवच बनाए, सामाजिक दूरी का ध्यान रखे, भीड़ भाड़ के स्थानों पर जाने से बचे। हमारी सावधानी ही हमारे परिवार, समाज, देश और राष्ट्र को सुरक्षित रख सकती है।
हमारे प्रयास और एक स्वस्थ पहल ही हमे बेखौफ जिंदगी का सपना सार्थक बनाने में मदद कर सकती है। फिर वही रौनक होगी, लेकिन मानव को मानवता का पाठ पढ़ना ही होगा,
सत्ता, धन व संपत्ति का लोभ खत्म करना होगा, अंतर्मन में संवेदना जगानी पड़ेगी, धर्म का डर पैदा करना होगा, ईश्वरीय शक्ति को स्वीकार करना ही होगा, मानवीय घमंड हमें तोड़ना पड़ेगा,
प्रकृति को सर्वोपरि मान कर उसकी सुरक्षा करनी होगी। तभी हम इस चुनौतीपूर्ण युद्ध में लड़ेंगे और अवश्य जीतेंगे।
नए साल की रोचक कविताओं के सफर के साथ ही आप सभी को नव वर्ष 2022 की हार्दिक शुभकामनाएं। सभी स्वस्थ रहें, मस्त रहें और सुरक्षित रहें। नमस्कार